इतनी छोटी सी बात है, रहने दो
जिनकी जहां औकात है, रहने दो
कितना रोकोगे तुम उड़ने से उन्हें
वो भी परिंदों की जात है, रहने दो
अब अपनों से उम्मीदें क्यूं रखनी
जो अजनबियों का साथ है, रहने दो
जिन्हें जाना था वो तो चले गए
बचे कुछ अधूरे जज़्बात है, रहने दो
उजाले भी शोर मचाएंगे देख लेना
कुछ पल की बची रात है, रहने दो
-स्वप्निल जोसफ
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