राह में कहीं ठहरो तो बताना हम आ जाएंगे
कोई तोड़े कभी दिल तो बताना हम आ जाएंगे
वो देखो बहुत आगे निकल गया है ज़माना
गर वहां तक हो जाना, तो बताना, हम आ जाएंगे
वक़्त की बेड़ियों में बंधे हो तुम भी, हम भी
कभी आज़ाद होना चाहो, तो बताना, हम आ जाएंगे
किनारों पर रहकर समुंदर समझ नहीं आएगा
गहराई नापने जाना हो, तो बताना, हम आ जाएंगे
कहीं महफ़िल ग़ज़ल की हो या कहीं जाम की
याद आएं किसी नज़्म पर, तो बताना, हम आ जाएंगे
वैसे हमें याद तो बहुत आते हो तुम भी हर वक़्त
गलती से भी हिचकी आए, तो बताना, हम आ जाएंगे
-स्वप्निल जोसफ
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