यूँ तो हो जा हर किसी का चाहे
गर तू मेरा हो सके, तो बता।।
बात किसी की मान, ना मान
खुदा पे भरोसा रख सके, तो बता।।
है ज़माना चल रहा सदियों से, यूँ ही
यहाँ तू कुछ पलट सके, तो बता।।
है उम्र से वाकिफ़ मेरे माथे की लकीरें
हाथ की लकीरें बदल सके, तो बता।।
है गुमान तुझे तेरी अच्छाइयों का सही
रोते हुए को हँसा सके, तो बता।।
हर इलज़ाम तू किसी पे रख चाहे
झूठी सज़ा भुगत सके, तो बता।।
क्यों ना खरीदा हो दुनिया को तूने पैसों में
गर मेरा हुनर खरीद सके, तो बता।।
-स्वप्निल जोसफ
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