Thursday, May 28, 2015

"खोया सा है तू!"

गुमनाम पते, सूने रास्ते में
अँधेरी रातों में, अधूरी बातों में
अनचाहे सवालों के जवाबों जैसे,
खोया सा है तू।

जब चल पड़े, ना रुक सके
ना थम सके, ना मुड़ सके
मालों में मोती जैसे
पिरोया सा है तू।

हर बात पर, सूनी रात पर
हर घात पर, हर मुलाक़ात पर
साल की पहली बारिश में पेड़ जैसे
भिगोया सा है तू।

जब थक गया, जब रुक गया
जब रह गया, तू थम गया
इक मटमैली चादर ओढ़े जैसे
सोया सा है तू।

दिलों की बात पर, सहमें सवालात पर
जीने की चाह पर, मौत की दीवार पर
अश्कों के समुन्दर में जैसे
डुबोया सा है तू।

तू देखकर चारों दिशा यहाँ की
दिल सभी के, आरज़ू जहां की
एक माँ से लिपटकर बच्चा जैसे,
रोया सा है तू।

अनचाहे सवालों के जवाबों जैसे, खोया सा है तू!

     "खोया सा है तू।"
-by Swapnil Joseph

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